उत्तराखंड. पर्यटन विभाग की लापरवाही और ग़ैरज़िम्मेदारी का प्रतीक बन गई मरीना बोट शुभारम्भ के बाद से ही टिहरी झील के किनारे जंग खा रही थी। टिहरी को नए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के सारे सरकारी दावे टिहरी झील में डूब गए हैं। घनघोर लापरवाही और बदइंतज़ामी की वजह से झील में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ढाई करोड़ की लागत से बनाई गई मरीना रेस्तरां बोट टिहरी झील में डूब गई है। इसी बोट में पिछले साल राज्य कैबिनेट की बैठक हुई थी और इसी में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट 13 ज़िले 13 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन के लिए 13 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन का ऐलान किया था। खुद टिहरी झील उनमें से एक है। बांध और टिहरी झील उत्तराखंड के लोगों के साथ किए जा रहे आधे-अधूरे प्रयोगों की प्रयोगशाला बन गए हैं। टिहरी बांध को लेकर लगातार विवाद होने के बाद उत्तराखंड सरकार ने बड़े बांध बनाने से तौबा कर ली थी। उसके बाद टिहरी में झील को लेकर प्रयोग शुरु हुए । झील को पर्यटक आकर्षण बनाने के लिए करीब चार साल पहले कांग्रेस सरकार ने टिहरी लेक फ़ेस्टिवल शुरू किया था। इससे स्थानीय युवाओं को रोज़गार मिलने और पर्यटन से आमदनी बढ़ने की उम्मीद थी। टिहरी में पर्यटकों की संख्या तो बढ़ी लेकिन झील के पास पार्किंग शौचालय सफ़ाई और खाने-पीने का ठीक सा इंतज़ाम अब तक नहीं हो पाया है। पर्यटन विभाग की लापरवाही और ग़ैरज़िम्मेदारी का प्रतीक बन गई मरीना बोट जो शुभारम्भ के बाद से ही टिहरी झील के किनारे जंग खा रही थी। स्थानीय बोट व्यवसाई इसके संचालन की मांग कर थे लेकिन पर्यटन विभाग शायद चाहता ही नहीं था कि यह चलेण् चाहता तो ऐसा नहीं होता। त्रिवेंद्र सरकार टिहरी झील और दूसरे टूरिस्ट डेस्टिनेशन को लेकर कितनी संजीदा है यह बताने के लिए ही राज्य कैबिनेट की बैठक इस बोट में की गई थी। इस बोट के डूबने से एक बार फिर साफ़ हो गया कि सिर्फ़ अच्छे इरादे और बड़ी योजनाओं से कुछ नहीं होने वाला उन्हें ज़मीन पर ठीक से उतारने का सिस्टम भी तैयार करना होगा। ज़ाहिर तौर पर जिसमें यह डबल इंजन सरकार फेल होती दिख रही है।