20 लाख इवीएम लापता

नई दिल्ली. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर नया घमासान मचना तय है । आरोप है कि देश में करीब 20 लाख ईवीएम लापता हैं । द हिंदू ग्रुप की इंग्लिश न्यूज मैग्जीन फ्रंटलाइन में छपी  रामकृष्णन की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बाबत बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है । इसमें ये खुलासा हुआ कि ये वोटिंग मशीन फैक्ट्री में तो बनीं मगर चुनाव आयोग तक नहीं पहुंचीं । फैक्ट्रियों से बनने के बाद ये वोटिंग मशीन कहां भेजी गई हैं इस बारे में फिलहाल कुछ पता नहीं चल रहा है।
इसका खुलासा कैसे हुआ
मुंबई के एक आरटीआई एक्टिविस्ट हैं मनोरंजन रॉय उन्होंने करीब 13 महीने पहले 27 मार्च,  2018 को बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी । इसमें उन्होंने चुनाव आयोग से ये जानना चाहा है कि उसने कितनी ईवीएम और वीवीपैट मशीनें खरीदी हैं । और इनको कहां रखा गया है । याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय ईवीएम बनाने वाली दो कंपनियों,  इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड हैदराबाद और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ;बीईएल  बेंगलुरु को भी नोटिस जारी करने की मांग की गई है। असल में मनोरंजन रॉय ने आरटीआई के जरिए पहले ही कुछ आंकड़े जुटाए हैं । इनमें निर्माता कंपनियों ने चुनाव आयोग को भेजी गई ईवीएम का आंकड़ा अलग बताया है । दूसरी ओर चुनाव आयोग ने निर्माता कंपनियों की ओर से

दा भुगतान किया गया है  इसकी क्या सच्चाई हैघ् मनोरंजन रॉय ने फ्रंटलाइन को बताया कि इन सब सवालों का जवाब पता लगाने के लिए ही र्पीआएल दाखिल की गई है । वैसे एक तथ्य ये भी है कि चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयोगों के पास ईवीएम को सुरक्षित रखने का कोई इंतजाम नहीं किया है चुनाव निपट जाने के बाद ये ईवीएम कहां रखी जाती हैं । इसका कोई स्थाई व्यवस्था इनके पास नहीं है । यही नहीं कुछ खराब ईवीएम को नष्ट भी कर दिया जाता है। जाहिर है इन सबका खुलासा अदालत के जरिए ही किया जा सकता है ।मिलने वाली ईवीएम का आंकड़ा दूसरा बताया है । इस भ्रम की वजह से ही मनोरंजन रॉय ने बॉम्बे हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की है ।आरटीआई में क्या खुलासा हुआ – फ्रंटलाइन के मुताबिक आरटीआई के जवाब में मनोरंजन रॉय को चुनाव आयोग और कंपनियों ने अलग.अलग जानकारी दी हैण् चुनाव आयोग ने 21 जून,  2017 को बताया कि उसने 1989.90 और 2014.15 के बीच बीईएल से 10, 05, 662 ईवीएम प्राप्त की हैं । इसी तरह साल 1989.90 और 2016.17 के बीच से चुनाव आयोग को 10, 14, 644 ईवीएम मिलीं।एक दूसरीए आरटीआई के जवाब में बीईएल ने बताया कि उसने 1989.90 और 2014.15 के बीच चुनाव आयोग को कुल 19,69, 932 की सप्लाई की हैण् और इसीआईएल ने बताया कि उसने चुनाव आयोग को 19,44,593 ईवीएम की आपूर्ति की है। कितनी ईवीएम चुनाव आयोग तक नहीं पहुंचीं फ्रंटलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक इन करीब 15 सालों के दौरान चुनाव आयोग को ठम्स् से 9,64,270 ईवीएम और इसीआईएल से 9,29,949 ईवीएम प्राप्त ही नहीं हुई हैं । मतलब ये है कि इन कंपनियों ने वोटिंग मशीन बनाई तो मगर उनको सप्लाई कहां कियाए इसकी जानकारी नहीं है । ये पता नहीं चल रहा है कि ये ईवीएम कहां जा रही हैं । फ्रंटलाइन के मुताबिक चुनाव आयोग की ओर से इस कंपनियों को किए गए भुगतान में भी गड़बड़ी नजर आ रही है ।अब ये सवाल अहम हो गया है कि लातपा वोटिंग मशीनें कहां हैंघ् बीईएल और इसीआईएल ने जो एक्स्ट्रा ईवीएम सप्लाई की हैं  वो कहां चली गईं और जो बीईएल को ज्या ईवीएम पर पहले से ही बवंडर है- इस वक्त लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग चल रही है। सात चरण के चुनाव में पांच चरण पूरे हो चुके हैं। छठवें चरण के लिए 12 मई को और सातवें चरण के लिए 17 मई को वोटिंग होगी। मतदान के वक्त ईवीएम से छेड़छाड़ और गड़बड़ी की शिकायतें लगातार आ रही हैं। 21 विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव नतीजों के वक्त 50 फीसदी ईवीएम के आंकड़ों को वीवीपैट मशीनों से मिलाने की मांग की थी। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी की थी । मगर इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।