हिममानव के पहली बार मिले निशान, भारतीय सेना का दावा

नई दिल्ली. भारतीय सेना ने दावा किया है कि पर्वतारोहण अभियान टीम को पहली बार रहस्मय येती यानी हिममानव के पैरों के निशान मिले हैं। सेना के ऑफ़िशियल ट्विटर हैंडल से कुछ तस्वीरें भी साझा की गई हैं। इन तस्वीरों में बर्फ़ पर बड़े पैरों के निशान दिख रहे हैं। एडीजीपीआई का कहना है कि मकालू बेस कैंप में 9 अप्रैल को खींची इन तस्वीरों में दिख रहे पैरों के निशान 32ग15 इंच के हैं। सेना के मुताबिक़ मकालू बारुण के नेशनल पार्क में ये कम दिखने वाला हिममानव पहले भी देखा  गया है। सेना की ओर से शेयर की इन तस्वीरों की सोशल मीडिया पर चर्चा है। कुछ लोग इन तस्वीरों पर हैरानी जता रहे हैं और कुछ इन्हें चुनाव से जोड़कर चुटकियां ले रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा कि बीजेपी ज़रूर इस पर काम कर रही होगी कि कैसे हिममानवों के मुद्दे को अपने चुनावी प्रचार में इस्तेमाल करे हालांकि ज़्यादातर लोग इन तस्वीरों पर चुटकियां भी ले रहे हैं। रूद्र लिखते हैं ज़रूर ये हिममानव मोदीजी को वोट करने बाहर आए होंगे।  चौकीदार मृत्युंजय शर्मा ने सवाल किया कि इन तस्वीरों में सिर्फ़ एक पैर का निशान क्यों दिख रहा है। आदर्श रस्तोगी लिखते हैं कि आना तो मोदी को था ये कहां से आ गया इसका वोटर आईडी कार्ड कहां है।
@iamtssh ने ट्वीट किया कि एक पैर क्यों दिख रहा है लगता है येती लंगड़ी खेल रहा था तभी उसका दूसरा पैर नहीं दिख रहा है।
कौन होते हैं ये रहस्मय हिममानव
तिब्बत और नेपाल की लोकप्रिय काल्पनिक कथाओं के मुताबिक़ एशिया के सुदूर पर्वतीय इलाकों में दैत्याकार बंदर जैसे जीव रहते हैं जिन्हें येती या हिममानव कहा जाता है। सालों से लोगों की ओर से येती को देखे जाने के दावे किए जाते रहे हैं। साल 2013 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में की रिसर्च में ये दावा किया गया था कि हिमालय के मिथकीय हिम मानव येती भूरे भालुओं की ही एक उप.प्रजाति के हो सकते हैं। प्रोफे़सर स्काइज़ ने बीबीसी को बताया था कि येती के मिथक के पीछे हो सकता है कि वास्तव में कोई जीव हो। उन्होंने कहा थाकि मैं समझता हूं कि वह भालू जिसे किसी ने भी जीवित नहीं देखा है। हो सकता है कि अभी भी वहां मौजूद हो अमरीकी जीवविज्ञानी शॉर्लट लिंडक्विस्ट ने भी इस बारे में कुछ काम किया है। उन्होंने येती के अवशेषों का डीएनए टेस्ट के ज़रिए विश्लेषण किया था।